देवभूमि देवघर के एक बड़े खुलासे ने सबको हिला कर रख दिया है। सरकार की ओर से शुरू की गई स्वरोजगार योजना और रोजगार आसान स्कीम के तहत 32 करोड़, 589 बेरोजगारों को नई उड़ान देने का वादा किया गया था। लेकिन अब खबर आ रही है कि इस योजना के तहत अभी तक एक भी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिली।
आलम यह है कि सरकारी दावों की हवा निकल गई।अमरनाथ पोदार, तहसीलदार ने बताया कि इस योजना के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए थे। बेरोजगारों को मुफ्त प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता देने की बात कही गई थी। लेकिन अब तक 589 बेरोजगारों ने इस योजना का लाभ नहीं उठाया। वजह साफ है, योजना धरातल पर फेल हो चुकी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी खराब है। वहां के लोग कह रहे हैं कि प्रशासन की लापरवाही से उनकी जिंदगी तबाह हो रही है।
दूसरी ओर, जिला कल्याण अधिकारी दयानंद दुबे का बयान आया है। उन्होंने कहा कि योजना को लेकर कई बार बैठकें हुईं। लेकिन नीचे तक योजना पहुंच ही नहीं पाई। 32 करोड़ की राशि का इंतजाम तो हुआ, पर वह बेकार पड़ी है। बेरोजगारों को रोजगार देने की बजाय सिर्फ कागजों पर खेल हो रहा है।वहीं, कुछ स्थानीय लोगों ने गुस्सा जताया।
एक युवक ने कहा कि सरकार ने झूठे वादे किए। हमने उम्मीद लगाई थी कि 2023-24 में नौकरी मिलेगी। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। दूसरा शख्स बोला कि प्रशासन सोया हुआ है। गरीबों की सुध लेने वाला कोई नहीं।खबर के मुताबिक, इस योजना के तहत 50 हजार रुपये तक की मदद का प्रावधान था। पर अफसोस, यह राशि अब तक किसी के खाते में नहीं पहुंची। जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं कि देरी की वजह तकनीकी खामियां हैं।
लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक इंतजार करेंगे बेरोजगार?
देवभूमि देवघर में इस मामले को लेकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला। उनका कहना है कि यह योजना महज दिखावा थी। दूसरी तरफ, सत्तारूढ़ पार्टी का दावा है कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। पर बेरोजगारों का भरोसा अब टूट चुका है।इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि 32 करोड़, 589 बेरोजगारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
प्रशासन की नाकामी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बड़े-बड़े वादे हकीकत से कोसों दूर हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। क्या बेरोजगारों को इंसाफ मिलेगा, या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा?
