देवघर की सड़कों पर पसरा सन्नाटा: छठे दिन भी बस हड़ताल जारी, जनता बेहाल, प्रशासन खामोश

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देवघर : एक ओर गर्मी का कहर, दूसरी ओर महंगाई की मार और ऊपर से छठे दिन भी जारी बस हड़ताल ने देवघर की आम जनता की कमर तोड़ दी है। आज भी जिले भर में बसों का संचालन पूरी तरह से ठप रहा, जिससे शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक लोग परेशान और बेबस नजर आए। सड़कों पर पसरा सन्नाटा और बस स्टैंडों पर यात्रियों की मायूसी अब सरकार और प्रशासन के प्रति आक्रोश में बदलती दिख रही है।

बस संघ की मांगें पूरी न होने पर जारी है हड़ताल

बस एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेशानंद झा ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर कोई ठोस फैसला नहीं लेती, तब तक यह हड़ताल अनवरत जारी रहेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार परिवहन व्यवसायियों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और लगातार हो रहे घाटे की भरपाई की कोई योजना नहीं बनाई गई है।

हमने कई बार सरकार को अपनी समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन नतीजा सिफर रहा*, झा ने कहा। अब हमारे पास हड़ताल के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा।

यात्रियों की बढ़ती परेशानी

देवघर स्टेशन से लेकर नगर के प्रमुख चौराहों तक, हर जगह एक ही तस्वीर दिख रही है—थके हुए चेहरे, झुलसाती धूप में ऑटो और टोटो वालों से बहस करते यात्री, और गंतव्य तक पहुंचने की जद्दोजहद। स्टेशन पर खड़े एक यात्री ने गुस्से में कहा, जहां पहले 10 रुपये में जाते थे, अब 100 रुपये मांग रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं है।

एक बुजुर्ग महिला जो अपने पोते के साथ बैंक कॉलोनी से स्टेशन आना चाह रही थीं, ने रोते हुए कहा कि हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हर जगह लुटते फिरें। सरकार सो रही है और चालकों को खुली छूट है।

सरकारी आदेश हवा में उड़ाया जा रहा

गौरतलब है कि कुछ समय पहले जिला प्रशासन ने स्पष्ट रूप से ऑटो और टोटो के किराए का मानक तय किया था। इसे न सिर्फ लोकल अखबारों बल्कि न्यूज़ चैनलों पर भी प्रमुखता से दिखाया गया था। इसके बावजूद, अब न तो चालक इस नियम को मान रहे हैं और न ही प्रशासन की तरफ से कोई निगरानी की जा रही है।

किराया सूची कहीं नजर नहीं आती, और कोई अधिकारी इसकी जांच भी नहीं कर रहा, एक स्थानीय व्यापारी ने बताया।

नए बस स्टैंड में सन्नाटा

बाघमारा स्थित नवनिर्मित बस स्टैंड अब वीरान पड़ा है। जहां पहले यात्रियों की भीड़ होती थी, अब वहां सिर्फ कुछ गिनी-चुनी बसे दिखाई देती हैं, वो भी सिर्फ कैलाशपति ट्रांसपोर्ट की, जो मुख्य रूप से बिहार के लिए संचालित हो रही हैं।

यहां अब न शोर है, न सवारी। पूरा स्टैंड जैसे उजड़ गया हो, बस स्टैंड के एक चाय दुकानदार ने बताया।

छात्र और कामकाजी वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित

इस हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी छात्रों और दैनिक मजदूरी करने वालों को हो रही है। स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चे घंटों ऑटो और टोटो की प्रतीक्षा में खड़े रहते हैं और कई बार मजबूरी में दोगुना-तिगुना किराया देकर सफर करते हैं।

परीक्षा का समय है और समय पर कॉलेज पहुंचना मुश्किल हो गया है, एक छात्रा ने कहा।

वहीं, निर्माण स्थल पर काम करने वाले एक श्रमिक ने बताया कि काम पर देर से पहुंचने की वजह से मजदूरी काट ली जाती है, लेकिन समय पर कैसे पहुंचें?

प्रशासन से संपर्क की कोशिश नाकाम

केलांचल टाइम्स के ब्यूरो चीफ अतुल कुमार द्वारा इस पूरे मामले पर जिले के वरीय अधिकारियों से संपर्क करने की हरसंभव कोशिश की गई, लेकिन समाचार लिखे जाने तक किसी भी अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका। न तो डीसी और न ही ट्रैफिक डीएसपी ने फोन उठाया।

प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

सवाल ये है कि प्रशासन आखिर इस गंभीर स्थिति को क्यों नजरअंदाज कर रहा है? आम जनता का आक्रोश अब सड़कों पर नजर आने लगा है। स्थानीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई हल नहीं निकाला गया तो जनांदोलन छेड़ने से भी परहेज नहीं किया जाएगा।

हम सिर्फ हड़ताल नहीं देख रहे, हम सिस्टम की नाकामी देख रहे हैं, शहर के वरिष्ठ नागरिक रमेश प्रसाद ने कहा।जनता खुद को असहाय महसूस कर रही है। अगर यही हाल रहा, तो देवघर में अराजकता फैलना तय है।

अब देखना यह है कि सरकार और जिला प्रशासन कब जागता है और जनता को इस अभूतपूर्व संकट से राहत दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।

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Author: gaytri

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