छातापुर (सुपौल)। जब चुनावी वादों का मौसम आता है, तब अक्सर नेता हेलीकॉप्टर से उतरते हैं और भाषणों की बरसात करके लौट जाते हैं। लेकिन इस बार छातापुर की गलियों में कोई शोर नहीं, सरोकार लेकर आया है – नाम है संजीव मिश्रा, वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पनोरमा ग्रुप के प्रबंध निदेशक।
गुरुवार को छातापुर विधानसभा क्षेत्र की रामपुर पंचायत स्थित लालपुर गांव से शुरू हुए जनसंपर्क अभियान में मिश्रा ने सैकड़ों लोगों से सीधे संवाद किया। उनका कारवां हरिहरपुर, माधोपुर और अन्य गांवों तक पहुंचा, लेकिन यह दौरा किसी चुनावी शो की तरह नहीं था – यह एक जन संवाद था, एक चलती-फिरती सुनवाई थी।
“कागज़ पर योजना है, ज़मीन पर खालीपन”
संजीव मिश्रा ने कहा, “छातापुर नेतृत्वविहीन हो चुका है। योजनाएं बनती हैं, लेकिन लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचता। अधिकारी अपनी मर्जी से शासन चला रहे हैं और जनता को हर मोड़ पर भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है।”
उन्होंने खासतौर पर यह सवाल उठाया कि “पूरे क्षेत्र में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है।” इस एक वाक्य में छातापुर के हजारों युवाओं का भविष्य अटका पड़ा है।
महिला संवाद: नारों से आगे की बात
रामपुर में एक विशेष महिला संवाद का आयोजन हुआ, जिसमें संजीव मिश्रा ने बबीता देवी, सरिता देवी, रूपम पाठक सहित सैकड़ों महिलाओं से संवाद किया। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी गरीब, मजदूर, छात्र, नौजवान और समाज के सबसे निचले तबके के लिए लड़ाई लड़ रही है।”
उन्होंने VIP पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी का ज़िक्र करते हुए कहा, “सन ऑफ मल्लाह सिर्फ एक उपाधि नहीं, एक प्रतीक है – संघर्ष का, समानता का और सम्मान का।”
कार्यकर्ताओं का जोश और जनसमर्थन की लहर
इस अभियान में वीआईपी पार्टी के स्थानीय नेताओं की मजबूत उपस्थिति रही:
विकास कुमार (छातापुर विधानसभा प्रवक्ता), विनय मंडल, मोनू मिश्रा, अरुण, हरी, मुकुंद, इंदल कुमार, यकुब आलम, बबीता देवी, सरिता देवी, रूपम पाठक, अभिषेक मिश्रा – सभी ने जनता के बीच जाकर पार्टी की नीति और मिशन को समझाया।
“यह रिश्ता नेता और जनता का नहीं, एक परिवार का है” — संजीव मिश्रा
जनसभा को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा:
“आपका स्नेह, आपकी आँखों की उम्मीद, और आपके घर की बातें मेरे लिए घोषणापत्र से कहीं ज़्यादा अहम हैं। मैं चुनाव नहीं, एक परिवर्तन की यात्रा पर निकला हूँ।”
उन्होंने ये भी जोड़ा, “हमारी लड़ाई सिर्फ जीतने की नहीं है, एक नया इतिहास गढ़ने की है – जिसमें आपके सपनों की जगह हो, आपके बच्चों की पढ़ाई हो, और आपके अधिकार की गारंटी हो।”
छातापुर की मिट्टी में अब एक नई सरगर्मी है। यह वीआईपी पार्टी के झंडे से ज़्यादा, उन चेहरों की पहचान है जो पहली बार खुद को राजनीति के केंद्र में देख रहे हैं। संजीव मिश्रा के इस जनसंपर्क अभियान ने यह दिखा दिया कि राजनीति केवल भाषण नहीं, भरोसे की बुनियाद भी हो सकती है।
