जोकीहाट । बिहार की सीमांचल बेल्ट में एक बार फिर AIMIM अपनी खोई जमीन वापस लेने की तैयारी में है। इसी कड़ी में पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी 3 मई को किशनगंज पहुंच रहे हैं और उसी दिन अररिया जिले के जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र के रानी चौक पर दरभंगा जाने के क्रम में कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे।
AIMIM अररिया जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधानसभा प्रत्याशी मुर्शीद आलम ने बताया कि “यह सिर्फ दौरा नहीं, मजलिस की सीमांचल में वापसी की शुरुआत है। जोकीहाट से दरभंगा तक ओवैसी साहब का सफर पार्टी की राजनीतिक दिशा तय करेगा।”
यह वही जोकीहाट सीट है जहां से AIMIM को पहली बड़ी जीत मिली थी, लेकिन बाद में विधायक ने पार्टी छोड़ राजद का दामन थाम लिया। मजलिस को यह धोखा गहरे तक चुभा, लेकिन अब पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक फिर से लामबंद हो रहे हैं।
मुर्शीद आलम, जिन्हें पिछली बार टिकट की दौड़ में उपेक्षित किया गया था, अब पार्टी की अगली पंक्ति में माने जा रहे हैं। “जनता समझ चुकी है कि मजलिस के सिद्धांतों के साथ कौन खड़ा है और कौन मौकापरस्त निकला,” उन्होंने कहा।
ओवैसी का यह दौरा कई राजनीतिक संदेश दे रहा है
- सीमांचल में अल्पसंख्यक वोट पर पकड़ बनाए रखने की चुनौती
- दरभंगा जैसे नए क्षेत्रों में सियासी विस्तार की तैयारी
- मजलिस के वफादार और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को सम्मान देने की पहल
AIMIM की नजर अब सीमांचल को दोबारा मजलिस का गढ़ बनाने पर है, और ओवैसी की यह यात्रा उसी रणनीति का हिस्सा है। रानी चौक का यह पड़ाव आने वाले चुनावी समीकरणों में निर्णायक हो सकता है।
जोकीहाट में ओवैसी की मौजूदगी सिर्फ औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि मजलिस के पुनर्जीवन का बिगुल है। सीमांचल की सियासत एक बार फिर करवट लेने को तैयार है — और ओवैसी इस बार ‘खामोश दर्शक’ नहीं, ‘निर्णायक खिलाड़ी’ बनकर लौटना चाहते हैं।
