रांची ; सरना धर्म कोड को लेकर एक बार फिर से मांग तेज हो गई है. दरअसल, केंद्र की एनडीए सरकार द्वारा विपक्ष के जातिगत जनगणना की मांग मान लिए जाने के बाद सरना धर्म कोड की मांग को बल मिला है. ऐसे में कांग्रेस और जेएमएम जनगणना में सरना धर्म कोड को शामिल कराने के लिए आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है.
पिछले दिनों रांची दौरे पर आए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में हुई पीसीसी विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में सरना धर्म कोड को लेकर संघर्ष तेज करने का प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस ने 26 मई को राज्यस्तरीय धरना प्रदर्शन रांची में आयोजित करने का निर्णय लिया है. पार्टी ने राज्यस्तरीय आंदोलन के बाद दिल्ली के जंतर-मंतर पर जोरदार आंदोलन करने का भी निर्णय लिया है.ट्राइबल बहुल झारखंड में आदिवासी समुदाय के द्वारा विशेष रूप से सरना धर्म के अनुयायी जनगणना में अलग से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. उनका तर्क है कि इससे उनकी पहचान को मान्यता मिलेगी और उन्हें अन्य धार्मिक समुदायों के समान दर्जा प्राप्त होगा. उनका कहना है कि पूर्व में यह जनगणना में शामिल था. लेकिन आजादी के बाद 1961 में आदिवासी धर्म कोड को हटा दिया गया था. सरना धर्म को प्रकृति के साथ जोड़कर देखा जा रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना होता है.सरना धर्म कोड को लेकर हाल के वर्षों में सियासत होती रही है. कांग्रेस और जेएमएम ने तो इसे चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल कर रखा है. हालांकि बीजेपी इस मुद्दे पर अब तक बेसुध की स्थिति में हैं. नवंबर 2020 में हेमंत सरकार ने जब विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र सरना धर्मकोड को लेकर बुलाया तो, सदन में सर्वसम्मति से पास कराने में भाजपा ने भी सहयोग किया था. पारित प्रस्ताव में जनगणना 2021 में ‘सरना’ को एक अलग धर्म के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया था.
