रांची: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने महागठबंधन से नाराजगी जताई है। पार्टी ने साफ संकेत दिए हैं कि अगर गठबंधन में उन्हें सम्मानजनक भागीदारी नहीं दी गई, तो वह 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की बैठकों में उन्हें शामिल नहीं किया गया और 21 सदस्यीय समन्वय समिति में भी स्थान नहीं मिला, जिससे पार्टी खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है। 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान, कम सीटें मिलने के बावजूद सीएम ने राजद को मंत्री पद दिया था। इसके बावजूद बिहार में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। पार्टी का मानना है कि सीमावर्ती इलाकों में उनकी मजबूत पकड़ है। और इस प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। झामुमो बिहार-झारखंड की सीमावर्ती सीटों जैसे चकाई, झाझा, तारापुर, कटोरिया, बांका, मनिहारी, रूपौली, बनमनखी, जमालपुर और धमदाहा में चुनाव लड़ना चाहती है। पार्टी का दावा है कि इन क्षेत्रों में झारखंडी संस्कृति, भाषा और आदिवासी पहचान की गहरी पैठ है, जिसे देखते हुए झामुमो को इन क्षेत्रों में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महासचिव पांडेय ने बताया कि झामुमो अब राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पहचान बनाना चाहता है। पार्टी झारखंड के साथ-साथ बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। पहले भी पार्टी का ओडिशा में छह विधायक, बिहार में एक विधायक और एक सांसद रह चुका है।
