जोकीहाट (अररिया)। सियासत की ज़मीन पर जब आवाम के दिल धड़कने लगें, तो समझ लीजिए कोई बड़ी लहर उठने वाली है। कुछ ऐसा ही नज़ारा रहा जोकीहाट के हड़वा चौक पर, जहाँ AIMIM के कार्यकर्ता सम्मेलन में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। यह कोई आम जलसा नहीं था – यह आवाज़ थी उन लोगों की जिन्हें अब तक नजरअंदाज़ किया गया, और यह ललकार थी एक ऐसे नेता की जो ज़मीन से जुड़कर सत्ता की दीवारों को हिला देने का माद्दा रखता है — जनाब मुर्शीद आलम।
“हम डराने वालों से नहीं डरते, हम हक़ के लिए लड़ते हैं” – मुर्शीद आलम
AIMIM के संभावित विधानसभा प्रत्याशी और ज़िला अध्यक्ष मुर्शीद आलम ने मंच से साफ शब्दों में कहा, “अब जोकीहाट खामोश नहीं रहेगा। हमारी आवाज़ दबाई नहीं जा सकती। हम असदुद्दीन ओवैसी साहब के उस कारवां का हिस्सा हैं जो मज़लूमों को जुबान देता है, और वोट को इज़्ज़त देता है।”
उन्होंने कहा कि AIMIM सिर्फ़ पार्टी नहीं, एक तहरीक है — तालीम, इंसाफ़ और बराबरी की तहरीक।
जनसैलाब ने दिखाई तस्वीर बदलने की ताक़त
सम्मेलन में सैकड़ों लोगों ने सदस्यता ली, जिनमें बड़ी संख्या में नौजवान, महिलाएं और किसान शामिल थे। यह साफ संकेत है कि अब जनता सिर्फ़ वादों से नहीं, इरादों से तय करेगी कि अगला जनप्रतिनिधि कौन होगा।
“इंतेख़ाब हमारा हक़ है, और हमारी आवाज़ ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है!”
हड़वा चौक की फिज़ा इस नारे से गूंज उठी जिसने इस सम्मेलन को आंदोलन का रूप दे दिया। AIMIM का यह कार्यकर्ता सम्मेलन अब सिर्फ़ एक इवेंट नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश बन चुका है — बदलाव दूर नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषण
जोकीहाट में AIMIM की यह रैली आने वाले चुनाव की दिशा तय कर सकती है। एक तरफ़ परंपरागत दलों की थक चुकी रफ्तार, और दूसरी तरफ़ AIMIM का ज़मीनी तेवर। अगर यही लहर बनी रही, तो जोकीहाट की राजनीतिक तस्वीर बदलना तय है।
