वाशिंगटन : अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ आए दिन नए-नए फैसले लेते रहते हैं, लेकिन हाल ही में अमेरिकी सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने सबको हैरान कर दिया। अमेरिका ने चीन में मौजूद अपने कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी है कि वे चीनी नागरिकों के साथ किसी भी तरह के रोमांटिक या शारीरिक संबंध (सेक्सुअल रिलेशनशिप) में न पड़ें। यह खबर सुनने में जितनी अजीब लगती है, उतनी ही गंभीर भी है। आइए, इस फैसले के पीछे की वजह और इसके नियमों को विस्तार से समझते हैं।
क्या है नया नियम?
एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सरकार ने जनवरी 2025 में एक नई नीति लागू की, जिसके तहत चीन में तैनात उसके सरकारी कर्मचारियों, उनके परिवार के सदस्यों और सुरक्षा मंजूरी वाले ठेकेदारों को चीनी नागरिकों के साथ किसी भी तरह के रोमांटिक या सेक्सुअल रिलेशनशिप में शामिल होने से मना किया गया है। इस नीति को अमेरिका के तत्कालीन राजदूत निकोलस बर्न्स ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में लागू किया था, ठीक इससे पहले कि वह चीन छोड़कर जाएं। चार सूत्रों ने AP को इसकी पुष्टि की, हालांकि वे अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते थे।
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी एजेंसियों ने अपने कर्मचारियों के लिए सख्त नियम बनाए हों, लेकिन इस तरह की पूरी तरह से पाबंदी (ब्लैंकेट नॉन-फ्रेटरनाइजेशन पॉलिसी) शीत युद्ध के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखी गई थी। आमतौर पर अमेरिकी राजनयिक दुनिया भर के देशों में स्थानीय लोगों से डेटिंग करते हैं और कई बार शादी तक कर लेते हैं, लेकिन चीन के मामले में अब यह सख्ती बरती जा रही है।
किन लोगों पर लागू हुआ यह नियम?
पिछले साल गर्मियों में अमेरिका ने एक सीमित नीति लागू की थी, जिसमें अमेरिकी दूतावास और चीन के पांच वाणिज्य दूतावासों (ग्वांगझू, शंघाई, शेनयांग, वुहान और हांगकांग) में काम करने वाले सुरक्षा गार्ड्स और सहायक कर्मचारियों के साथ रोमांटिक या सेक्सुअल संबंध बनाने पर रोक लगाई गई थी। लेकिन जनवरी 2025 में बर्न्स ने इस नियम को और सख्त करते हुए इसे चीन में तैनात सभी अमेरिकी कर्मचारियों पर लागू कर दिया। यह नीति बीजिंग स्थित दूतावास और सभी वाणिज्य दूतावासों में काम करने वाले अधिकारियों पर लागू होती है, लेकिन चीन के बाहर तैनात कर्मचारियों पर इसका कोई असर नहीं है।
पहले से रिश्ते में हैं तो क्या करें?
इस नीति में एक खास छूट भी दी गई है। अगर कोई अमेरिकी कर्मचारी पहले से ही किसी चीनी नागरिक के साथ रिलेशनशिप में है, तो वह इस पाबंदी से बचने के लिए अपील कर सकता है। लेकिन अगर उनकी अपील खारिज हो जाती है, तो उनके सामने दो ही रास्ते होंगे- या तो अपना रिश्ता खत्म करें या फिर नौकरी छोड़ दें। नियम तोड़ने की सूरत में ऐसे कर्मचारियों को तुरंत चीन से बाहर भेज दिया जाएगा। यह कदम दिखाता है कि अमेरिका इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रहा है।
जनवरी में जारी हुआ फरमान, लेकिन चुप्पी क्यों?
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस नीति की जानकारी अमेरिकी कर्मचारियों को जनवरी में मौखिक और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दी गई थी, लेकिन इसे सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया गया। अमेरिकी विदेश विभाग और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। विदेश विभाग ने इसे संवेदनशील मामला बताकर चुप्पी साध ली, जबकि सुरक्षा परिषद ने इसे विदेश विभाग का मुद्दा करार देकर पल्ला झाड़ लिया। इससे साफ है कि अमेरिका इस नीति को लेकर खुलकर बात करने से बच रहा है।
चीन का ‘हनीपॉट’ और जासूसी का डर
इस फैसले के पीछे सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है चीन की कथित ‘हनीपॉट’ रणनीति। दावा किया जाता है कि चीनी खुफिया एजेंसियां आकर्षक महिलाओं और पुरुषों का इस्तेमाल करके अमेरिकी अधिकारियों को अपने जाल में फंसाती हैं, ताकि उनसे गोपनीय जानकारी हासिल की जा सके। अमेरिकी कर्मचारियों को चीन में तैनाती से पहले खास ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें उन्हें बताया जाता है कि कैसे चीनी जासूस ‘हनीपॉट’ के जरिए उनके करीब आने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा, यह भी आशंका जताई जाती है कि चीन किसी भी अमेरिकी अधिकारी की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए कई खुफिया एजेंटों को तैनात कर सकता है।
शीत युद्ध के दौरान भी इस तरह की जासूसी आम थी। 1987 में अमेरिका ने सोवियत संघ और चीन में तैनात अपने कर्मचारियों को स्थानीय लोगों के साथ दोस्ती, डेटिंग या सेक्स करने से मना किया था, जब एक अमेरिकी मरीन को सोवियत जासूस ने बहकाया था। अब फिर से वही डर अमेरिका को सता रहा है।
सेक्स, जासूसी और सत्ता का खेल
यह नीति सिर्फ सेक्स या रोमांस को लेकर नहीं है, बल्कि इसके पीछे अमेरिका और चीन के बीच चल रही सत्ता की जंग छिपी है। अमेरिका का मानना है कि चीन उसकी खुफिया जानकारियों को हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, और इसमें सेक्स एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है। दूसरी ओर, चीन ने इस नीति पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उसका कहना है कि ऐसे सवालों का जवाब अमेरिका से ही पूछा जाना चाहिए।
क्या होगा असर?
इस फैसले से न सिर्फ अमेरिकी कर्मचारियों की निजी जिंदगी प्रभावित होगी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है। जहां अमेरिका इसे अपनी सुरक्षा के लिए जरूरी बता रहा है, वहीं कुछ आलोचकों का कहना है कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चीन भी इसका कोई जवाबी कदम उठाता है।
