31 मार्च 2025, बाल्टिक देशों—लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया—में रूस के संभावित हमलों को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। TV9 भारतवर्ष की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नाटो (NATO) के साथ एक बड़े सैन्य टकराव की तैयारी कर रहे हैं। रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव ने दिसंबर 2024 में कहा था कि रूस को अगले एक दशक में नाटो के साथ संभावित युद्ध के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि पश्चिमी देशों का यूक्रेन को समर्थन रूस के लिए “रेड लाइन” बनता जा रहा है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच बाल्टिक देशों को डर है कि रूस अपनी सैन्य रणनीति को उनकी सीमाओं तक विस्तार दे सकता है। बाल्टिक क्षेत्र में नाटो की बढ़ती मौजूदगी और रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों ने तनाव को और बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस की “ग्रे जोन” रणनीतियाँ—जैसे साइबर हमले, दुष्प्रचार और आर्थिक दबाव—बाल्टिक देशों के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
विश्लेषण:
बाल्टिक देशों की चिंता: बाल्टिक देश रूस और बेलारूस की सीमा से सटे होने के कारण पहले से ही सतर्क हैं। 2022 की एक फाइनेंशियल टाइम्स रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों को रूस की सैन्य गतिविधियों से लगातार खतरा महसूस होता है।
नाटो की भूमिका:
नाटो ने यूक्रेन और जॉर्जिया के साथ समुद्री सहयोग बढ़ाया है और काला सागर में अपनी उपस्थिति मजबूत की है। नाटो के आर्टिकल V के तहत, किसी भी सदस्य देश पर हमला सभी सदस्यों पर हमला माना जाता है, जिससे बाल्टिक देशों को कुछ सुरक्षा मिलती है।
रूस की रणनीति:
रूस ने यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाइयों को तेज कर दिया है। बीबीसी न्यूज की 30 मार्च 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेनी सैनिकों को लंबे समय तक युद्ध की आशंका है, क्योंकि रूस लगातार अपनी सेना को मजबूत कर रहा है।
पृष्ठभूमि:
यूक्रेन में रूस के 2022 के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के बाद से, नाटो और रूस के बीच तनाव चरम पर है। रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद नाटो ने रूस के साथ सभी व्यावहारिक सहयोग को निलंबित कर दिया था। तब से, नाटो-यूक्रेन कमीशन में नियमित बैठकें हो रही हैं, और पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं।
आगे क्या?
विश्लेषकों का मानना है कि बाल्टिक क्षेत्र में किसी भी तरह का टकराव हवा, समुद्र, जमीन, अंतरिक्ष और साइबर—सभी क्षेत्रों में होगा। नाटो को रूस की एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल (A2/AD) क्षमताओं को दबाने और समुद्री क्षेत्र में नियंत्रण बनाए रखने की जरूरत होगी। इस बीच, रूस की बढ़ती सैन्य तैयारियों ने वैश्विक चिंता को और गहरा कर दिया है।
