पटना। मगध विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 21 मई से 20 जून तक प्रस्तावित ग्रीष्मावकाश को रद्द किए जाने के फैसले ने शिक्षकों में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) के मीडिया प्रभारी प्रो. अरुण गौतम ने इसे “शिक्षा और शिक्षक विरोधी” करार दिया है।
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रो. गौतम ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा 15 अप्रैल को बुलाई गई बैठक में शैक्षणिक सत्रों को नियमित करने, परीक्षाफल का समय पर प्रकाशन व क्षतिपूर्ति राशि की गणना जैसे एजेंडों का हवाला देकर ग्रीष्मावकाश रद्द करना, मगध विश्वविद्यालय प्रशासन की ‘सामंती सोच’ और ‘मनमानी’ का परिचायक है।
शिक्षकों की भूमिका को किया दरकिनार
प्रो. गौतम ने दो-टूक कहा कि आज के समय में विश्वविद्यालयों में उत्तर पुस्तिकाओं की जांच, परीक्षा परिणामों का प्रकाशन आदि कार्य ठेकेदारों और प्रशासनिक तंत्र द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, जहां शिक्षकों की भूमिका नगण्य होती जा रही है। ऐसे में शिक्षकों के शैक्षणिक विश्राम और आत्मविकास के अधिकार को छीनना किसी भी रूप में न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।
शोध व शैक्षणिक यात्राओं पर असर
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि ग्रीष्मावकाश केवल आराम के लिए नहीं, बल्कि शोध लेखन, शैक्षणिक यात्राओं, सेमिनारों में भागीदारी और आत्मिक उन्नति का एक आवश्यक अवसर होता है। इसे बिना किसी संवाद और वैकल्पिक योजना के रद्द कर देना, शिक्षा की गुणवत्ता को गिराने वाला कदम है।
फैसला वापस लेने की मांग
प्रो. अरुण गौतम ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि वह इस निर्णय को तुरंत वापस ले और शिक्षकों को उनकी शैक्षणिक गरिमा व स्वतंत्रता के साथ ग्रीष्मावकाश बिताने का अवसर दे।
