दरभंगा: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जननायक चंद्रशेखर की 98वीं जयंती के अवसर पर रामनरेश सिंह एजुकेशनल फाउंडेशन, दरभंगा चैप्टर और अखिल भारतीय प्रबंध विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में “सशक्त भारत के निर्माण में चंद्रशेखर की भूमिका” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय, बिलासपुर के युवा शिक्षाविद् प्रकाश प्रियांशु ने चंद्रशेखर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर के विचार अतीत में प्रासंगिक थे, वर्तमान में भी हैं और भविष्य में भी रहेंगे।
इलाहाबाद डिग्री कॉलेज, प्रयागराज की युवा शिक्षाविद् डॉ. रिंकू सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि चंद्रशेखर युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। उन्होंने युवाओं को जागृत करने का भरपूर प्रयास किया। उनका मानना था कि जो युवा शक्ति को महत्व देता है, वही देश को स्वस्थ प्रगति की ओर ले जाता है, क्योंकि युवाओं में स्वार्थ के बजाय राष्ट्र कल्याण की भावना होती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महासचिव डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि चंद्रशेखर केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनकी भाषा शैली अद्वितीय और तेज थी। उनमें इतनी सच्चाई और दृढ़ता थी कि कोई उनकी बात को काट नहीं सकता था। चाहे पक्ष हो या विपक्ष, वे सभी के लिए सम्माननीय थे और सभी को मार्गदर्शन देते थे, क्योंकि उनमें निजी स्वार्थ की भावना बिल्कुल नहीं थी। उनके आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
डॉ. जमील हसन अंसारी ने सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि चंद्रशेखर की भाषा शैली अनुपम और तीव्र थी। उनमें राष्ट्रवाद और देश प्रेम कूट-कूट कर भरा था। राष्ट्रवाद और विचारों में स्पष्टता के कारण ही उन्होंने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था।
संगोष्ठी में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से विवेकानंद पाठक, डॉ. रूपम मिश्रा, डॉ. शिवजी वर्मा, ग्लोकल विश्वविद्यालय, सहारनपुर से डॉ. आनंद कुमार, डॉ. प्रियंका सिंह सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. मो. जमील हसन अंसारी ने किया।
इस अवसर पर डॉ. शैलेश कुमार सिंह, डॉ. जमील हसन अंसारी और डॉ. मुनेश्वर यादव की पुस्तक “समाजवाद के प्रखर स्तंभ चंद्रशेखर” का विमोचन भी किया गया।
संगोष्ठी में मुख्य रूप से डॉ. प्रकाश प्रियांशु, डॉ. शैलेश कुमार सिंह, डॉ. मो. मिन्हाजुद्दीन, पूनम कुमारी, सोनी कुमारी, कृष्ण कुमार ठाकुर, मेधा कुमारी, पिंकी कुमारी, कृष्णा यादव सहित कई प्रतिभागी उपस्थित रहे।
