जब विपक्ष और आदिवासी समुदाय ने इसका विरोध किया तो मरांडी सरकार ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवाईं, जिसमें कई शहीद हुए और सैकड़ों को जेल में डाला गया। उन्होंने मरांडी को झारखंड की बुनियाद में दीमक करार देते हुए कहा कि उनका असली चरित्र शोषणकारी और औपनिवेशिक मानसिकता का है।भट्टाचार्य ने मरांडी के उस दौर के फैसलों, जैसे 104 एमओयू साइन करने को आदिवासी हितों के खिलाफ बताया और आरोप लगाया कि वे मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं। रिम्स-2 के निर्माण के विरोध पर भट्टाचार्य ने तंज कसते हुए कहा कि मरांडी का यह विरोध व्यक्तिगत हितों से प्रेरित है। उन्होंने दावा किया कि मरांडी अपने मित्र सुनील साहू के लिए बड़ी योजना बना रहे हैभट्टाचार्य ने पूछा कि जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने झारखंड में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की बात कही तो मरांडी विरोध क्यों कर रहे हैं? उन्होंने इसे मरांडी की खिसियानी बिल्ली वाली हरकत बताया और रांची में डेमोग्राफिक बदलाव के लिए भी उन्हें जिम्मेदार ठहराया।
