श्रीनगर, : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने इस विधेयक को मुसलमानों के खिलाफ एक और कदम करार देते हुए कहा कि बीजेपी पिछले 10-11 सालों से मुसलमानों को निशाना बना रही है।
एएनआई को दिए एक बयान में महबूबा मुफ्ती ने कहा, “पिछले 10-11 सालों से बीजेपी मुसलमानों के खिलाफ काम कर रही है। यह विधेयक उसी का हिस्सा है। पहले मुसलमानों की लिंचिंग हुई, मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया गया, दुकानें बंद कराई गईं। अब इस वक्फ विधेयक के जरिए वे हमारी संपत्तियों पर कब्जा करना चाहते हैं। मुसलमान अब क्या करें? वे पिछले 10-11 सालों से यह सब सहन कर रहे हैं, लेकिन मैं अपने हिंदू भाइयों से कहना चाहती हूं कि भारत अपनी सांप्रदायिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। आज यह सब कचरे में फेंका जा रहा है।”
महबूबा ने आगे कहा कि भारत, जो कभी एक आदर्श राष्ट्र था, अब म्यांमार की राह पर चल रहा है, जहां अल्पसंख्यकों और मुसलमानों को देश से बाहर खदेड़ा जा रहा है। उन्होंने बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा, “वे भूल जाते हैं कि कल वे सत्ता में नहीं होंगे। कांग्रेस ने देश को एकजुट रखा था, लेकिन जब तक बीजेपी सत्ता से जाएगी, तब तक देश बर्बाद हो चुका होगा। जैसे जिया-उल-हक ने पाकिस्तान को तबाही में धकेल दिया, वैसे ही बीजेपी भारत के साथ कर रही है।”
गंगा-जमुनी तहजीब का जिक्र
महबूबा ने अपने बयान में गंगा-जमुनी तहजीब का जिक्र करते हुए भारत की सांस्कृतिक एकता पर जोर दिया। गंगा-जमुनी तहजीब उत्तरी भारत, खासकर गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक है, जहां दोनों समुदाय एक-दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लेते हैं और साझा सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं।
पाकिस्तान और म्यांमार से तुलना
महबूबा ने बीजेपी की नीतियों की तुलना पाकिस्तान के पूर्व शासक जिया-उल-हक की इस्लामीकरण नीतियों से की, जिन्होंने 1970 और 1980 के दशक में पाकिस्तान को राजनीतिक इस्लाम का केंद्र बना दिया था। साथ ही, उन्होंने म्यांमार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ जातीय सफाई और नरसंहार जैसी घटनाएं हुईं, और भारत भी उसी दिशा में बढ़ रहा है।
इस विधेयक और महबूबा मुफ्ती के बयान ने एक बार फिर देश में सांप्रदायिक सौहार्द और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर बहस को तेज कर दिया है। विधेयक पर संसद में चर्चा के दौरान और सड़क पर इसका विरोध तेज होने की संभावना है।
