सात दिवसीय भागवत कथा के छठे दिन तालझारी के दूधकोल गांव में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन किया गया। कथावाचिका साध्वी पूजा ब्रज किशोरी ने “लीला” और “क्रिया” के बीच का अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला दूसरों को सुख देने की इच्छा से प्रेरित थी, जिससे पूरे गोकुल में सुख-समृद्धि बनी रही।
उन्होंने माखन चोरी की लीला का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए कहा कि इसका तात्पर्य भक्तों के मन की चोरी करना है, जिसे कन्हैया ने बखूबी किया। साध्वी जी ने भगवान कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का वर्णन किया, जिससे श्रोता वात्सल्य प्रेम के सागर में डूब गए।
कथा में पूतना वध की लीला का भी उल्लेख किया गया, जिसमें कंस द्वारा भेजी गई बलवान राक्षसी पूतना भगवान कृष्ण को विषयुक्त दूध पिलाने का प्रयास करती है, परंतु भगवान उसका वध कर देते हैं।
इसके अतिरिक्त, कार्तिक माह में ब्रजवासियों द्वारा इंद्र की पूजा की तैयारी और भगवान कृष्ण द्वारा उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित करने की लीला का वर्णन किया गया। इंद्र के क्रोधित होकर भारी वर्षा करने और भगवान कृष्ण द्वारा अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी ब्रजवासियों की रक्षा करने की मनमोहक कथा भी सुनाई गई, जिसने इंद्र के अभिमान को चूर-चूर कर दिया।
इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालु भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को सुनकर भावविभोर हो गए।
