भागलपुर : ख्यातिलब्ध आंदोलनकारी और वरिष्ठ पत्रकार गौतम सुमन गर्जना को विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ और काशी हिंदी विद्यापीठ के कुलपति सांभाजी बाविस्कर ने विद्या वाचस्पति के मानक सम्मान से नवाजा है। यह सम्मान उन्हें सामाजिक क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान, अंगिका भाषा के उत्थान के लिए उनके संघर्ष और पत्रकारिता के माध्यम से समाज को नई दिशा देने के प्रयासों के लिए प्रदान किया गया।
श्री बाविस्कर ने इस अवसर पर कहा कि श्री गर्जना ने अपने कार्यों से समाज में एक मील का पत्थर स्थापित किया है और उम्मीद जताई कि वे अपने कार्यों को पूरे जोश और तेवर के साथ जारी रखेंगे, जिससे समाज में जागृति आएगी।
गौतम सुमन गर्जना ने सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने के साथ-साथ अंगिका भाषा को उसका हक दिलाने के लिए भी लंबा संघर्ष किया है। उन्होंने इसके लिए सड़कों पर प्रदर्शन किए और लाठियां भी खाईं। वे सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में पिछले 19 सालों से लगातार रोजा रखते आ रहे हैं और उन्होंने 34 बार रक्तदान किया है, जिसमें 19 बार मुस्लिम भाइयों को रक्त दिया गया है। अंगिका आंदोलन के लिए उन्होंने अपनी पैतृक संपत्ति तक बेच दी और पैदल यात्रा, अनशन और सत्याग्रह जैसे आंदोलनों में सक्रिय रहे।
काशी हिंदी विद्यापीठ के राज्य प्रमुख बादल कुमार झा ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करने से सम्मान देने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों ही गौरवान्वित होते हैं। उन्होंने श्री गर्जना को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अपनी पत्रकारिता से समाज की भलाई करते रहें।
गौरतलब है कि गौतम सुमन गर्जना पिछले तीन दशकों से सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं और जरूरतमंदों की सेवा करना उनका मुख्य उद्देश्य रहा है। अंगिका भाषा के अधिकारों के लिए उन्होंने भागलपुर से पटना तक पैदल यात्रा करके लोगों में जागरूकता और उत्साह पैदा किया। पिछले एक दशक से वे पत्रकारिता के माध्यम से समाज को दिशा देने का कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर विद्यापीठ की ओर से श्री गर्जना को विद्या वाचस्पति का प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो और पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मानित किया गया। काशी हिंदी विद्यापीठ की ओर से उन्हें सम्मान स्वरूप मेडल भी प्रदान किया गया। इस मौके पर कलमकार संजय कुमार सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
