अररिया। टीबी (क्षय रोग) को जड़ से समाप्त करने के उद्देश्य से फारबिसगंज टीबी यूनिट में मंगलवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य कर्मियों को एक्टिव केस फाइंडिंग (ACF) अभियान की तकनीकी जानकारी दी गई, ताकि वे समुदाय में जाकर संभावित मरीजों की पहचान कर उन्हें इलाज के दायरे में ला सकें।
फारबिसगंज पीएचसी प्रभारी डॉ. वसाक की अध्यक्षता में आयोजित इस प्रशिक्षण में जिला यक्ष्मा कार्यक्रम समन्वयक दामोदर शर्मा ने बताया कि सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ता इस अभियान की रीढ़ हैं। उन्होंने टीबी की पहचान, बलगम जांच, सी-टीबी प्रक्रिया, जोखिम क्षेत्रों की मैपिंग और समय पर इलाज की महत्ता पर विस्तृत जानकारी दी।
प्रशिक्षण में बताया गया कि जिन परिवारों में पूर्व में टीबी के मरीज रह चुके हैं, उन सभी सदस्यों की बलगम जांच आवश्यक है ताकि संक्रमण के पुनः प्रसार को रोका जा सके। कार्यक्रम में डेवलपिंग फेमिली यूथ संस्था के प्रतिनिधियों सहित बीएचएम, बीसीएम और सभी स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मोईज ने कहा, “टीबी एक गंभीर लेकिन पूरी तरह इलाज योग्य बीमारी है। यदि समय पर पहचान हो जाए और मरीज दवाओं का नियमित सेवन करे तो वह पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है।”
स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास जिले को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
