छातापुर (सुपौल) । सोहटा पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित उच्च विद्यालय, गिरिधरपट्टी में मध्यान्ह भोजन बनाते समय झुलसी रसोइया श्रीमती अमला देवी की इलाज के दौरान हुई मौत ने पूरे क्षेत्र को गमगीन कर दिया है। इस दर्दनाक हादसे के बाद ग्रामीणों ने शव के साथ स्कूल गेट पर धरना दिया और प्रशासन के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया।
घटनास्थल पर पहुँचे वीआईपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री संजीव मिश्रा ने इसे एक “संवेदनहीन प्रशासनिक लापरवाही” करार दिया और कहा , “अमला देवी की मौत एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की नाकामी और जिम्मेदारों की लापरवाही का परिणाम है। इस घटना ने गरीब कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर शासन की संवेदनहीनता उजागर कर दी है।”
प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद शांत हुआ आक्रोश
गांव वालों के बढ़ते आक्रोश और शव के साथ सड़क जाम की स्थिति को देखते हुए अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष शिव शंकर कुमार घटनास्थल पर पहुँचे। संजीव मिश्रा और ग्रामीणों के साथ संवाद के बाद प्रशासन ने ग्रामीणों की प्रमुख माँगों को मानने का आश्वासन दिया, जिसके बाद शव को अंतिम संस्कार हेतु रवाना किया गया।
संजीव मिश्रा ने की परिजनों से मुलाकात, दी आर्थिक मदद
वीआईपी नेता संजीव मिश्रा ने शोक-संतप्त परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की और उन्हें तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की। उन्होंने प्रशासन से स्पष्ट माँग की , “पीड़िता के परिवार को सरकारी मुआवज़ा, पुनर्वास और एक परिजन को नौकरी दी जाए। यदि 48 घंटे में ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो वीआईपी सड़क पर उतरेगी।”
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर तीखा हमला
घटना के दो दिन बाद भी कोई विधायक, सांसद या अन्य स्थानीय प्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुँचे, जिसे लेकर संजीव मिश्रा ने सवाल खड़े किए , “जनता के दुःख में साथ न खड़े होकर वे क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या उनका धर्म केवल चुनाव जीतना है?”
मध्यान्ह भोजन योजना की असलियत पर सवाल
यह हादसा मध्यान्ह भोजन योजना में बुनियादी सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करता है। स्कूलों में न तो आग बुझाने के पर्याप्त उपकरण हैं, न ही रसोइयों को कोई स्वास्थ्य बीमा या आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण दिया जाता है। क्या सरकार की जिम्मेदारी यहीं खत्म हो जाती है?
वीआईपी ने जताया संघर्ष का संकल्प
वीआईपी पार्टी ने कहा है कि वह पीड़ित परिवार की आवाज़ बनेगी और इस तरह की घटनाओं के विरुद्ध संवेदना के साथ-साथ जवाबदेही सुनिश्चित करने का आंदोलन छेड़ेगी।
अब वक्त है जवाबदेही का
अमला देवी की मौत से उठे सवाल सिर्फ़ एक परिवार की त्रासदी नहीं, पूरे तंत्र के खोखलेपन को उजागर करते हैं।अब वक़्त है— संवेदना से आगे बढ़कर सिस्टम से जवाब माँगने का।
