नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देश में सियासी माहौल गर्म है। सरकार कल, 2 अप्रैल 2025 को दोपहर 12 बजे लोकसभा में यह विधेयक पेश करेगी। इस बीच, विधेयक को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है, और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है।
विधेयक के मुख्य बिंदु:
- यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करता है।
- इसमें वक्फ बोर्ड और काउंसिल की संरचना में बदलाव, वक्फ संपत्ति की पहचान के लिए बोर्ड की शक्तियों में संशोधन, और वक्फ गठन के मानदंडों को संशोधित करना शामिल है।
- इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता लाना है।
विवाद और विरोध:
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे “वक्फ बोर्ड को नष्ट करने” की साजिश करार दिया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार देता है।
ओवैसी का आरोप है कि सरकार मुस्लिम धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने का प्रावधान संविधान के खिलाफ है।
YSRCP जैसे दलों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है और इसे NDA सरकार की एकतरफा नीति करार दिया है।
वक्फ संपत्तियों का विवाद:
वक्फ संपत्तियों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। कई समितियों ने वक्फ की स्थिति पर चिंता जताई है, जिसमें संपत्तियों पर अतिक्रमण, राजस्व की हानि, रखरखाव की कमी, और सर्वेक्षण में पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दे शामिल हैं।
शहरी मामलों के मंत्रालय का कहना है कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों से जुड़े मुकदमों में कमी आएगी।
संसदीय प्रक्रिया:
विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया था, जिसे 8 लाख याचिकाएं प्राप्त हो चुकी हैं, जो इस मुद्दे पर जनता और संस्थानों की गहरी रुचि को दर्शाता है।
लोकसभा में विधेयक पेश होने के साथ ही इस पर तीखी बहस होने की उम्मीद है।
आगे की राह:
संसद के इस सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक पर होने वाली चर्चा न केवल धार्मिक और कानूनी पहलुओं को उजागर करेगी, बल्कि देश में धार्मिक स्वायत्तता और सरकारी हस्तक्षेप के बीच संतुलन को लेकर भी एक बड़ी बहस छेड़ सकती है।
यह देखना होगा कि संसद में इस विधेयक पर क्या रुख अपनाया जाता है और क्या सरकार विपक्ष के विरोध को दरकिनार करते हुए इसे पारित कराने में सफल रहती है।
