नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पेश किया गया, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में महत्वपूर्ण बदलाव लाना है। विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि यह किसी भी सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता देने से रोकता है, चाहे वह संपत्ति विधेयक के लागू होने से पहले या बाद में वक्फ भूमि के रूप में पहचानी या घोषित की गई हो।
विधेयक के मुख्य प्रावधान:
- सरकारी संपत्तियों पर वक्फ का दावा नहीं: विधेयक स्पष्ट रूप से कहता है कि सरकारी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।
- UMEED विधेयक: वक्फ संशोधन विधेयक का नाम बदलकर UMEED विधेयक (Unified Waqf Management Empowerment Efficiency and Development) रखा जाएगा।
- विवाद समाधान: यदि किसी संपत्ति के सरकारी भूमि या वक्फ संपत्ति होने पर विवाद होता है, तो मामले को जिला कलेक्टर को भेजा जाएगा। कलेक्टर जांच करेंगे और राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे। रिपोर्ट आने तक संपत्ति को वक्फ भूमि नहीं माना जाएगा।
- गलत घोषणाओं का समाधान: यह संशोधन सरकारी भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में गलत तरीके से वर्गीकृत करने की चिंताओं को दूर करता है।
- पारदर्शिता और निष्पक्षता: सरकार का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
विपक्ष और बहस:
विधेयक पर संसद में तीखी बहस हुई। विपक्ष ने सरकार पर बिना पर्याप्त चर्चा के कानून पारित करने का आरोप लगाया है। सरकार का कहना है कि बदलाव संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों पर आधारित हैं।
संपत्ति प्रशासन में बदलाव:
सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को आधुनिक बनाना चाहती है। अनधिकृत दावों को रोकना और भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड में स्पष्टता लाना चाहती है।
यह देखना बाकी है कि यह विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में पारित होगा या इसमें कोई बदलाव किया जाएगा।
