अररिया । गुरुवार को अररिया जिले में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी ने एक नई सामाजिक चेतना को जन्म दिया। संवाद में पहुंचीं महिलाएं जहां वीडियो फिल्मों के ज़रिए योजनाओं की जानकारी से उत्साहित नजर आईं, वहीं उन्होंने स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की मांग भी खुलकर उठाई।
“पहले नहीं पता था कि क्या योजनाएं हैं, अब हमें रास्ता भी मिल गया है”—यह कहना है उन दर्जनों महिलाओं का, जिन्होंने संवाद रथ के ज़रिए पहली बार सरकारी योजनाओं की जानकारी हासिल की। महिलाओं ने कहा कि इस संवाद के माध्यम से उन्हें पता चला कि शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार और सुरक्षा से जुड़ी कई योजनाएं उनके लिए पहले से ही चल रही हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वे वंचित थीं।
रोजगार पर विशेष चिंता, पलायन से पीड़ा
कार्यक्रम में आई कुछ महिलाओं ने पलायन को सबसे बड़ा अभिशाप बताते हुए कहा कि जब पुरुष रोज़गार के लिए बाहर चले जाते हैं, तो सामाजिक, मानसिक और आर्थिक बोझ सबसे अधिक महिलाओं पर पड़ता है। उन्होंने कहा, “यदि स्थानीय स्तर पर कोई छोटा कारखाना, प्रशिक्षण केंद्र या स्व-रोजगार योजना लागू हो, तो हमें अपने परिवारों को बिखरने से बचाने का मौका मिलेगा।”
संवाद रथ से पहुँच रही है सशक्तिकरण की लहर
बता दें कि 18 अप्रैल से शुरू हुआ यह कार्यक्रम दो महीने तक चलेगा, जिसमें कुल 18 संवाद रथ प्रतिदिन जिले की 36 जगहों पर जाकर महिलाओं को वीडियो फिल्मों के माध्यम से सरकारी योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं।पहली पाली: सुबह 9 से 11 बजे तक,दूसरी पाली: शाम 4 से 6 बजे तक।
पूर्व निर्धारित रूट मैप के अनुसार संवाद रथ प्रतिदिन अलग-अलग पंचायतों में पहुँच रहा है। इस पहल की सकारात्मक और संतोषजनक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। महिलाओं का कहना है कि “अब हम सिर्फ वोट नहीं देंगे, सवाल भी पूछेंगे—अपने हक़ के लिए।”
महिला संवाद सिर्फ योजनाओं की जानकारी भर नहीं दे रहा, बल्कि अररिया की महिलाओं में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की नई चेतना जगा रहा है। सरकार यदि इन आवाज़ों को सुनकर स्थानीय स्तर पर अवसर सृजित करे, तो यह संवाद एक स्थायी बदलाव की शुरुआत साबित हो सकता है।
