रांची : गांव की ठेठ परंपराओं के साथ सीएम पद की जिम्मेदारियां ऐसे संभाल रहे हेमंत सोरेन सुबह दिवगंत पिता को जल अर्पित किया, दोपहर में फाइलों पर नोटिंग दी, शाम को उतर गए खेतों में नेमरा: झारखंड के रामगढ़ जिले का नेमरा गांव। वह गांव, जहां वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन जन्मे। यहीं से उनकी संघर्ष यात्रा शुरू हुई। लंबा संघर्ष किया। उत्कर्ष तक पहुंचे। उनके पुत्र हेमंत सोरेन भी इस गांव में पैदा हुए। उन्होंने गांव की माटी एवं परंपराओं के साथ सीएम पद की महती जिम्मेदारियों से खुद को किस तरह जोड़ रखा है, इसकी तस्वीरें पिछले पांच दिनों से सामने आ रही हैं। सुबह उठकर वे पिता के श्राद्ध के लिए पारंपरिक विधि-विधान करते हैं। दोना-पत्तल लेकर गांव की सीमा पर जाते हैं। दिवंगत पिता को याद कर उन्हें जल, दूध और भोजन समर्पित करते हैं। नित्य का विधि-विधान करने के बाद घर लौटते हैं तो अफसर उनका इंतजार कर रहे होते हैं। शुक्रवार को उनके प्रधान सचिव अविनाश कुमार फाइलों के साथ उनके घर पहुंचे थे। हेमंत ने फाइलें देखीं, नोट दिए, हस्ताक्षर किए। साफ कहा, जनता की समस्या का समाधान त्वरित हो। किसी काम में कोई ढिलाई न हो। हर जरूरी सूचना तुरंत दी जाए। हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह कठिन समय है। फिर भी जनता ने मेरा साथ दिया है। इसी वजह से मैं कर्तव्य निभा पा रहा हूं।” दोपहर बाद मुख्यमंत्री गांव के खेतों की ओर बढ़े। महिलाएं धान रोप रही थीं। सीएम भी नंगे पांव खेत में उतर पड़े। उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी। हेमंत ने उनसे बात की। किसानों की परेशानियां सुनीं। कहा, “कृषि हमारी रीढ़ है। यह हमारी पहचान और संस्कृति भी है। किसान खुशहाल होंगे, तो देश-राज्य समृद्ध होगा।” किसानों के साथ बातचीत में उन्होंने भरोसा जगाने की कोशिश की। कई कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र किया। कहा, “इन योजनाओं से जुड़ें। मैं हमेशा आपके साथ हूं। परेशानी हो तो बताएं। उसका समाधान होगा।” 5 अगस्त को उन्होंने पिता को मुखाग्नि दी थी। साधारण वस्त्र पहने थे। पिता को कफन के रूप में ऐसे ही वस्त्र ओढ़ाए गए थे। यही परंपरा है। हेमंत सोरेन श्राद्ध कर्म के हर एक चरण को पूरी श्रद्धा से निभा रहे हैं।
