रांची : पदमश्री पूर्व सांसद डा. रामदयाल मुण्डा की जयंती प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की अध्यक्षता में में मनायी गयी। इस अवसर पर कांग्रेसजनों ने डा. मुण्डा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें झारखंड का सांस्कृतिक विभूति बताया। इस अवसर पर केशव महतो कमलेश ने अपना उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि “नाची से बांची” को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाने वाले डा. मुण्डा ने झारखण्ड की संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान दिलाया। उन्होंने कला, शिक्षा और जनजातीय भाषा के विकास और संरक्षण के लिए जीवन पर्यन्त काम किया। उनकी सोच और यादें झारखंडी समाज को नई दिशा देती है। डा. मुण्डा बहुआयामी व्यक्तित्व एवं लोक संस्कृति के नायक थे। राजनीति, कला, संस्कृति व समाज के प्रति समर्पित सोच वाले थे। उन्होंने झारखण्ड के मूल सवाल जल,जंगल,पहचान,भाषा व संस्कृति पर आजीवन काम किया। झारखण्ड के उत्थान में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि डॉ मुंडा ने जब रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय भाषा विभाग का कार्यभार संभाला उसके बाद राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय जगत पर यहां की भाषा-संस्कृति को पहचान मिली। अलग राज्य की मांग के लिए इनके दिशा निर्देशानुसार साहित्यकारों रंगकर्मियों, कलाकारों ने जनता को जागरूक करने कि लिए भाषा,संस्कृति का उपयोग किया। इनकी विद्वता को देखते हुए अमेरिका के विश्वविद्यालय में कार्यरत होने के बावजूद इन्हें बुलाकर विभाग का दायित्व दिया गया तत्पश्चात रांची विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति तथा कुलपति के पद पर आसीन हुए। शांत-सौम्य व्यक्तित्व को देखते हुए इन्हें राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का सदस्य सोनिया गांधी ने नियुक्त किया था। इस दायित्व का भी इन्होंने बखूबी निर्वह्न किया। श्रद्धांजलि देने वाला प्रमुख रूप से राकेश सिन्हा, अभिलाष साहू, विनय सिन्हा दीपू, सोनाल शांति, राजन वर्मा प्रेम कुमार शाह,शशि भूषण राय अन्य शामिल थे।
