रांची। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और झारखंड एटीएस की टीम ने आईएसआईएस के सक्रिय मॉड्यूल से जुड़े जिस दानिश अजहर नामक आतंकी को 10 सितंबर को गिरफ्तार किया था, उसके मंसूबे बेहद खतरनाक थे। जांच एजेंसियों का कहना है कि दानिश सीधे तौर पर पाकिस्तान में बैठे आईएसआईएस के हैंडलर्स के संपर्क में था। वह भारत में खिलाफत की घोषणा करने और आतंकी हमलों की साजिश रच रहा था। उसने देश के कई राज्यों के युवाओं को आतंक के नेटवर्क से जोड़ रखा था
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और झारखंड एटीएस के अनुसार, दानिश की संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पिछले छह माह से इनपुट जुटाए जा रहे थे। इन्हीं इनपुट्स के आधार पर रांची के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना और कर्नाटक में एक साथ छापेमारी की गई, जिसमें कुल पांच संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई।
एजेंसियों ने खुलासा किया कि पाकिस्तान स्थित हैंडलरों के निर्देश पर संचालित हो रहे इस मॉड्यूल का नेतृत्व रांची से पकड़ा गया अशहर कर रहा था, जिसे संगठन में “गजवा लीडर” और कोड नेम “सीईओ” के नाम से पहचाना जाता था।
छापेमारी के दौरान दानिश के कमरे से विस्फोटक बनाने में प्रयुक्त कई खतरनाक रसायन और उपकरण बरामद किए गए। इनमें कॉपर शीट, हाइड्रोक्लोरिक व नाइट्रिक एसिड, सल्फर पाउडर, सोडियम बाइकार्बोनेट, बॉल बेयरिंग्स, इलेक्ट्रॉनिक स्केल, पीएच चेकर, बीकर सेट और सुरक्षा उपकरण शामिल हैं। जांच अधिकारियों के मुताबिक, इन सामग्रियों का इस्तेमाल कर दानिश इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) तैयार कर रहा था।
अशहर दानिश मूल रूप से बोकारो जिले के पेटरवार का निवासी है। तबारक लॉज में ठहरने के लिए उसने अपना आधार कार्ड जमा कराया था, जिसमें उसके पिता का नाम मजरुल हसन दर्ज है। लॉज संचालक और आसपास के लोग बताते हैं कि दानिश अकेले रहता था और किसी से खास मेलजोल नहीं करता था। उसके कमरे में एक अन्य छात्र भी ठहरा हुआ था, लेकिन दानिश ने उसे कभी संगठन या अपनी गतिविधियों की जानकारी नहीं दी।
अधिकारियों का कहना है कि आतंकी संगठन अपने सदस्यों को सख्त निर्देश देता है कि वे अपनी पहचान या गतिविधियों की जानकारी परिवार और करीबी लोगों से भी न साझा करें। यही कारण रहा कि दानिश का रूममेट तक उसकी असली भूमिका से अनजान था।
गौरतलब है कि रांची से आईएसआईएस नेटवर्क का पर्दाफाश पहली बार नहीं हुआ है। इससे पूर्व चान्हो क्षेत्र से कई संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें रेडियोलॉजिस्ट डॉ. इश्तियाक अहमद भी शामिल थे। उन मामलों की जांच में सामने आया था कि संगठन ने झारखंड में ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई थी।
