नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर समेत चार राज्यों के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। उन्हें 11 मई को तबीयत बिगड़ने पर भर्ती कराया गया था। उन्होंने मंगलवार दोपहर 1:12 बजे अंतिम सांस ली। मलिक का कार्यकाल कई अहम राजनीतिक घटनाओं से जुड़ा रहा। वे 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे। 5 अगस्त 2019 को उनके कार्यकाल में ही अनुच्छेद 370 हटाया गया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया था। सत्यपाल मलिक बिहार, गोवा और मेघालय के राज्यपाल भी रहे। 2018 में उन्होंने ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था। पूर्व राज्यपाल का नाम हाल के वर्षों में विवादों में भी रहा। 22 मई 2024 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने उन्हें जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़े 2,200 करोड़ रुपए के घोटाले में आरोपित करते हुए चार्जशीट दाखिल की थी। फरवरी में उनके ठिकानों पर छापेमारी भी हुई थी। मलिक ने 2021 में एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से कहा था कि राज्यपाल रहते उन्हें रिश्वत के प्रस्ताव मिले थे, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। उन्होंने कहा था कि उन्हें दो फाइलों पर 150-150 करोड़ रुपए ऑफर हुए थे, लेकिन उन्होंने स्पष्ट इनकार करते हुए डील रद्द कर दी। सत्यपाल मलिक को उनके स्पष्टवादी रवैये और राजनीतिक बयानबाजियों के लिए जाना जाता था। उनके निधन से देश की राजनीति में एक बेबाक आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई।
