पटना । ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने गुरुवार कहा कि उन्होंने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास 10, सर्कुलर रोड जाकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव से अपनी पार्टी को महागठबंधन में शामिल करने की अपील की, लेकिन उनका यह प्रयास भी विफल रहा और ऐसी परिस्थिति में अगर उनकी पार्टी को अकेले ही चुनाव उतरती है तो मुस्लिम मतों के बिखराव के लिए राजद जिम्मेदार होगा।श्री ईमान ने कहा कि मुस्लिम मतों के बिखराव को रोकने के लिए की गई उनकी आखिरी कोशिश बेकार हो गई है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन से गठजोड़ में शामिल होने के लिए लंबे समय से उनका प्रयास चल रहा है और इस संबंध में पत्र लिख कर सूचित भी किया गया था लेकिन कोई जवाब नही मिला। वहीँ राजद की तरफ से ये कहा गया कि उन्हें किसी पत्र की कोई जानकारी नहीं है। वे लगातार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से तालमेल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी बात को तरजीह नहीं दी जा रही है। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि अगर सेक्युलर दल आपसी तालमेल नहीं बैठाते, तो राज्य में भाजपा और एनडीए को इसका सीधा राजनीतिक लाभ मिलेगा। बिहार में कई ऐसी सीट है एआईएमआईएम प्रभाववित कर सकती है । 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने किशनगंज, अररिया, कटिहार और सीमांचल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था। किशनगंज से एआईएमआईएम विधायक भी चुने गए थे। ऐसे में मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के वोटों पर पकड़ रखने वाली यह पार्टी, सेक्युलर वोटों के समीकरण को प्रभावित कर सकती है। राजद महागठबंधन की राजनीति में छोटे दलों को बराबरी का स्थान नहीं देना चाहते। इससे पहले भी सीट बंटवारे को लेकर वाम दलों और अन्य सहयोगियों में नाराज़गी सामने आ चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में मुस्लिम मतदाता लगभग 16-17% हैं, जिन पर पारंपरिक रूप से आरजेडी-कांग्रेस की पकड़ रही है। लेकिन अगर एआईएमआईएम अकेले मैदान में उतरती है तो सीमांचल और कुछ अन्य इलाकों में वोटों का बिखराव तय है। इसका सबसे बड़ा नुकसान महागठबंधन को हो सकता है और एनडीए मजबूती पा सकता है।
