भारत के ऑनलाइन कैब/बाइक बुकिंग मार्केट में कॉम्पिटीशन की तस्वीर तेजी से बदल रही है। उबर (Uber) के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) दारा खोसरोशाही ने बताया कि उनकी कंपनी को भारत में सबसे बड़ा कॉम्पिटीशन ओला (Ola) से नहीं, बल्कि रैपिडो (Rapido) से मिल रहा है। खोसरोशाही ने यह बयान जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत के पॉडकास्ट ‘People by WTF’ में बातचीत के दौरान दिया। खोसरोशाही ने साफ शब्दों में कहा, “पहले हमारे लिए भारत में ओला सबसे बड़ा कॉम्पिटीशन था, लेकिन अब असली चुनौती रैपिडो दे रही है।”
बेंगलुरु मुख्यायल वाली रैपिडो ने साल 2015 में एक बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर के तौर पर अपना कारोबार शुरू थी। लेकिन समय के साथ कंपनी ने अपनी सेवाओं का विस्तार किया और अब वह ऑटो-रिक्शा और कैब कैटेगरी में भी उतर चुकी है। Rapido का दावा है कि वह देश के 100 से अधिक शहरों में मौजूद है और हाल ही में मिली नई फंडिंग के सहारे कंपनी आक्रामक विस्तार की तैयारी कर रही है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि Rapido का दो और तीन पहिया सेवाओं पर फोकस ने उसे खासतौर पर प्राइस को लेकर संवेदनशील रहने वाले यात्रियों के बीच बड़ी लोकप्रियता दिलाई है। महामारी के बाद जब लोग किफायती विकल्पों की तलाश में थे, Rapido ने उसी खालीपन को भुनाया। ओला कंज्यूमर (ANI Technologies) ने वित्त वर्ष 2024 में अपना नेट लॉस घटाकर 328.5 करोड़ रुपये कर लिया, जो इसके पिछले साल 772.2 करोड़ रुपये रहा था। हालांकि, कंपनी के रेवेन्यू में भी इस दौरान गिरावट आई। स्टैंडअलोन आधार पर Ola का रेवेन्यू वित्त वर्ष 2024 में घटकर 1,906 करोड़ रुपये पर आ गया, जो इसके पिछले साल 2,135 करोड़ रुपये रहा था। वहीं, इसकी पैरेंट कंपनी का कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू भी पिछले साल के ₹2,277 करोड़ से घटकर ₹2,203 करोड़ पर आ गया।
ओला अब अपनी EV शाखा पर दांव लगा रही है, जिसने साल 2024 में शेयर बाजार में एंट्री की थी और अपने स्कूटर लाइनअप और बैटरी गीगाफैक्ट्री में भारी निवेश कर रही है।
भारत के राइड-हेलिंग मार्केट का साइज करीब 13 अरब डॉलर का बताया जाता है और यहां की मांग लगातार बढ़ रही है।
