रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पुलिस कस्टडी और न्यायिक हिरासत में हुई मौतों पर विस्तृत जानकारी मांगी है। अदालत ने गृह, कारागार एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यह जानना आवश्यक है कि हिरासत में मौत के मामलों को मजिस्ट्रेट के संज्ञान में लाया गया था या नहीं। अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 176 (1-ए) अथवा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 196 (2) के तहत ऐसे मामलों में न्यायिक जांच अनिवार्य है।
जनहित याचिका में झारखंड विधानसभा के एक आधिकारिक दस्तावेज का हवाला दिया गया है। इसमें राज्य सरकार ने स्वीकार किया था कि वर्ष 2018 से 2021 के बीच झारखंड में करीब 166 लोगों की मौत पुलिस कस्टडी या न्यायिक हिरासत में हुई।
इस जनहित याचिका में अदालत से मांग की गई है कि सभी हिरासत में हुई मौतों की जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और जिम्मेदारी तय हो सके।
अदालत ने गृह विभाग के सचिव से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि संबंधित मामलों में मजिस्ट्रेटी जांच की प्रक्रिया अपनाई गई या नहीं। साथ ही यह भी पूछा है कि विभाग ने अब तक क्या कार्रवाई की है।इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद शादाब अंसारी उपस्थित हुए। अदालत ने इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 25 सितंबर को तय की है।
