रांची : शराब की बिक्री निजी हाथों में, सख्त निगरानी और नए नियम लागू राज्यभर में 1343 दुकानें संचालित होंगे सरकार ने तय किया 4000 करोड़ का राजस्व लक्ष्य रखा गया है । राज्य में 1 सितंबर से नई उत्पाद नीति लागू हो गई है और शराब की खुदरा बिक्री अब पूरी तरह निजी हाथों में चली गई है। पहले ही दिन दुकानों पर पहले जैसी भीड़ दिखी, हालांकि कुछ दुकानें अभी नहीं खुल सकीं क्योंकि गोदाम से शराब की खेप समय पर नहीं पहुंच पाई। विभागीय अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि दो-तीन दिनों में यह व्यवस्था पूरी तरह सामान्य हो जाएगी। राज्य में कुल 1343 शराब की दुकानें हैं। इनमें 1184 कंपोजिट (विदेशी और देसी दोनों) और 159 देसी शराब की दुकानें शामिल हैं। आपूर्ति के लिए अब आठ की जगह 21 डिपो बनाए गए हैं। प्रत्येक खुदरा विक्रेता को सिर्फ तीन दिन का स्टॉक रखने की अनुमति होगी और नियमित जांच की जाएगी। नई नीति में एमआरपी से अधिक दाम वसूलने पर सख्त प्रविधान है। पहली बार पकड़े जाने पर 50 हजार, दूसरी बार 75 हजार और तीसरी बार एक लाख रुपये जुर्माना लगेगा। शिकायतें दोहराने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। स्टॉक अद्यतन नहीं करने पर भी 5 हजार से 15 हजार रुपये तक जुर्माना तय है। अब शराब की दुकानें रात 11 बजे तक खुलेंगी, जबकि पहले 10 बजे तक ही अनुमति थी। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में शराब से 4000 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य रखा है। इसमें से 1500 करोड़ रुपये अप्रैल से अगस्त तक की पुरानी व्यवस्था से मिले हैं, जबकि 1 सितंबर से मार्च 2026 तक के सात महीनों में 2500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। इसके लिए जिलों के उपायुक्तों को क्षेत्रवार जिम्मेदारी दी गई है। नई दरें भी लागू कर दी गई हैं। विभाग द्वारा जारी सूची के अनुसार, देश में निर्मित विदेशी शराब और देसी शराब महंगी हुई है, जबकि विदेश से आयातित शराब के दाम घटे हैं। बीयर और देसी शराब की कीमतों में 20 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। नई व्यवस्था से जहां सरकार को राजस्व बढ़ने की उम्मीद है, वहीं निजी दुकानदारों के बीच प्रतिस्पर्धा भी तेज होगी। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई दुकानदार उपहार योजनाएं चलाने की तैयारी में हैं।
