रांची : झारखंड प्रदेश जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था और रोजगार नीति दोनों ही विफलता की कगार पर पहुँच चुकी हैं।उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आकांक्षा कोचिंग में 150 बेड वाले छात्रावास निर्माण की घोषणा स्वागत योग्य है। इससे गरीब और मेधावी छात्रों को सुविधा जरूर मिलेगी, लेकिन पलामू, गढ़वा, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी और लातेहार . संथाल परगना जैसे पिछड़े जिलों में छात्रों की भारी संख्या को देखते हुए सीटों में और वृद्धि करना आवश्यक है। छात्र और छात्राओं को सामान्ता से देखना होगा. साथ ही, केवल कोचिंग ही नहीं बल्कि छात्रों की आगे की पढ़ाई (संसाधन की उपलब्धता) और रोजगार की गारंटी भी सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए। श्री तिवारी ने आरोप लगाया कि सरकार ने 26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की थी, जबकि हकीकत में मात्र करीब 6 हजार युवाओं की ही नियुक्ति (कक्षा 1 से 5 और 6 से 8 मिलाकर) होगी। सरकार 5 गुना झूठ बोलकर बेरोजगार युवाओं को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद फाइनल चयन न होने से कई युवाओं की मौत सदमे की वजह से हो चुकी है, जिसकी जवाबदेही सरकार को लेनी होगी। बहुत सारे युवाओं का उम्र सीमा भी समाप्त हो गया है! वर्तमान सरकार पिछली सरकार को और पिछले सरकार वर्तमान सरकार को दोषी ठहराती है। जब न्यायालय की शरण थकहार कर बेरोजगार युवक लेते हैं फिर सरकार जागती है। बिना न्यायालय में गए सरकार की नींद नहीं खुलता है माननीय न्यायालय को चाहिए बेरोजगार और जनता से जुड़े मामलों का संज्ञान ले इंतजार ना करें। आर्थिक अभाव में बहुत प्रदेशवासी सरकारी लाभ नहीं ले पाते भ्रष्टाचार के गिरफ्त में शासन प्रशासन है।तिवारी ने शहरी पारा शिक्षकों की स्थिति पर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि शहरों में कार्यरत पारा शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 2700 रुपये तक कम मानदेय मिलना राज्य सरकार की गंभीर लापरवाही है। नगर निगम और नगर परिषद का चुनाव न होने के कारण शहरी क्षेत्रों के शिक्षकों को संशोधित मानदेय का लाभ नहीं मिल पाया। उन्होंने मांग की कि सरकार अपने पदाधिकारियों से सेवा सत्यापन कराकर तत्काल बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित करे। अब तक भुगतान न होना सीधा शोषण है। सरकार में बैठे अधिकारी अपनी जिम्मेवारी समझे।उन्होंने जोर देकर कहा कि शहरी पारा शिक्षकों की मानदेय विसंगति तुरंत दूर की जाए और उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देकर सेवा शर्तों को स्थायी स्वरूप दिया जाए।
