दरअसल, विभाग ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए स्वीकृत राशि में 50 लाख रुपये की राशि अग्रिम सहायक अभियंता को दी थी। सहायक अभियंता ने इनमें 27 लाख 93 हजार रुपये का कार्य कराकर ठेकेदार को भुगतान किया, जबकि शेष राशि का गबन कर लिया। इधर, ठेकेदार ने गबन हुई राशि नहीं मिलने पर कोर्ट की शरण ली, जिसमें उच्च न्यायालय ने विभाग को ठेकेदार को राशि का भुगतान करने का आदेश दिया। स्वास्थ्य विभाग ने इटखोरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए 31 मई 2008 को ही 3.54 करोड़ रुपये की योजना की स्वीकृति प्रदान की थी। बीच में विभिन्न कारणों से निर्माण कार्य बंद हो गया। इस बीच कुछ राशि सरेंडर भी हुई। बाद में वर्ष 2017 में इस योजना की संशोधित प्राक्कलन की स्वीकृति प्रदान की जो बढ़कर 6.68 करोड़ रुपये की हो गई। विभाग ने इस राशि के विरुद्ध अबतक 5.83 करोड़ रुपये उपायुक्त को आवंटित किए हैं।
