सरकार बोली- आतंकियों को घर में घुसकर मारा, विपक्ष ने पूछा- पीओके क्यों नहीं लिया दिल्ली: लोकसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जोरदार बहस हुई। सरकार ने इसे आतंक के खिलाफ साहसिक कदम बताया, जबकि विपक्ष ने खुफिया चूक और रणनीतिक अस्पष्टता को लेकर गंभीर सवाल उठाए। दोपहर 2:05 बजे शुरू हुई चर्चा देर रात तक जारी रही। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत ने आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा और यह कार्रवाई पाकिस्तान के आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाए बिना की गई। उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले में 26 पर्यटकों की जान गई थी, जिसके बाद सेनाओं को निर्णायक कार्रवाई की छूट दी गई। राजनाथ ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर स्थित आतंकियों के ठिकानों पर प्रिसीजन स्ट्राइक की, जिसमें 100 से अधिक आतंकी, ट्रेनर और हैंडलर मारे गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की हार की पेशकश के बाद संघर्षविराम केवल “रोका” गया है, खत्म नहीं हुआ। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विपक्ष द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के दावों पर उठाए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी और ट्रम्प के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। किसी भी स्तर पर व्यापार या युद्धविराम को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सवाल किया कि 5 आतंकी पहलगाम में कैसे घुसे और 26 लोगों की हत्या कर दी। उन्होंने पूछा कि सरकार ने पीओके लेने का प्रयास क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान सचमुच झुक गया था, तो सीजफायर की क्या जरूरत थी। गोगोई ने कहा, “हर बार जब चुनाव नजदीक आते हैं, तो इस तरह की कार्रवाई सामने आती है। क्या यह दीर्घकालिक नीति का हिस्सा है या फिर सिर्फ तात्कालिक जवाबी कदम?” उन्होंने पूछा कि अगर सरकार PoK को भारत का अभिन्न अंग मानती है, तो उसे लेकर स्पष्ट कार्यनीति क्यों नहीं बनाती? उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या इस ऑपरेशन से पहले खुफिया एजेंसियों को किसी तरह की चेतावनी मिली थी और यदि हां, तो पहले ही सतर्कता क्यों नहीं बरती गई? तृणमूल सांसद सौगत रॉय और डीएमके सांसद टी. आर. बालू ने भी सरकार की मंशा और पारदर्शिता पर सवाल उठाए। सौगत रॉय ने कहा, “सेना के शौर्य को चुनावी मुद्दा बनाना ठीक नहीं है। हम सेना का सम्मान करते हैं, लेकिन उसकी वीरता के पीछे की राजनीति पर सवाल करना लोकतंत्र का हिस्सा है।” सदन में सपा, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव) समेत विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार जवाबदेही से बच नहीं सकती। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को लोकसभा में बहस का जवाब देंगे और प्रधानमंत्री मोदी के भी हस्तक्षेप की संभावना जताई गई है।
