अब एसीबी इन अधिकारियों से यह हिसाब लेगा कि जालसाजी से हुई उगाही के रुपये किसके हिस्से में कितना बंटा। नुकसान केवल 38 करोड़ रुपये का है या राशि इससे अधिक है। एसीबी को प्रथम दृष्टया छानबीन में यह पता चला है कि उत्पाद विभाग में रहते हुए इन अधिकारियों ने प्लेसमेंट एजेंसियों के संचालकों के साथ मिलीभगत कर बड़ी मात्रा में जालसाजी की है। जालसाजी की राशि एक अरब तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। जिन प्लेसमेंट एजेंसियों को इन अधिकारियों ने लाभ पहुंचाया था, उन्हें बाद में नियम व शर्तों का अनुपालन नहीं करने पर राज्य सरकार ने ब्लैकलिस्ट करते हुए उनकी बैंक गारंटी को जब्त किया था।
हालांकि, उसके बाद भी जिन प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन हुआ, उनमें में भी कइयों के साथ इन अधिकारियों की मिलीभगत हुई। बाद में भी हुए खेल की जानकारी के लिए एसीबी के अधिकारी छानबीन में जुटे हुए हैं। एसीबी के अधिकारियों की टीम गिरफ्तार विनय चौबे व गजेंद्र सिंह के आय-व्यय का ब्यौरा भी खंगालने में जुटी है। करीब दस वर्षों के चेक पीरियड में उन्हें वैध स्रोत से कितने आय हुए और इस अवधि में उन्होंने कितना व्यय किया, इसका भी डेटा खंगाला जा रहा है।
जल्द ही एसीबी के अधिकारी विनय चौबे व गजेंद्र सिंह के बैंक खातों को खंगालेंगे, जिससे उनके खाते में आए धन का पता लगा सकें। उनके पैनकार्ड, उनकी सरकार को घोषित की गई चल-अचल संपत्ति का भी अध्ययन करेंगे। यह भी जानकारी जुटाई जा रही है कि इस अवधि में इन अधिकारियेां ने कहां-कहां चल-अचल संपत्ति अर्जित की है।
