नई दिल्ली: प्रक्रिया को स्वच्छ और पारदर्शी बनाने के तहत चुनाव आयोग ने सोमवार को 476 पंजीकृत राजनीतिक दलों को सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। आयोग ने स्पष्ट किया कि इन दलों ने 2019 से लगातार छह वर्षों तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा, जो पंजीकरण बनाए रखने की आवश्यक शर्त है। यही वजह है कि इन दलों को सूची से हटाने का कदम उठाया गया है। इस कार्रवाई के बाद देश में पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की कुल संख्या घटकर 2044 रह जाएगी। इससे पहले भी आयोग 334 दलों को निष्क्रिय मानते हुए सूची से बाहर कर चुका है। पंजीकृत दलों को लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत कई विशेष लाभ मिलते हैं, जिनमें चुनाव चिन्ह का आवंटन, आयकर में छूट और चुनावी प्रक्रिया में कुछ विशेषाधिकार शामिल हैं। इस कारण चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन 476 दलों को कारण बताओ नोटिस जारी करें और अपना पक्ष रखने का अवसर दें। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, तो इन्हें पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की सूची से औपचारिक रूप से हटा दिया जाएगा। आंकड़ों के मुताबिक, 476 दलों में सबसे ज्यादा 121 दल उत्तर प्रदेश के हैं। इनके अलावा महाराष्ट्र के 44, तमिलनाडु के 42, दिल्ली के 41, मध्य प्रदेश के 23 और राजस्थान के 18 दल हैं। इस सूची में देश के 30 राज्यों के दल शामिल हैं। अब तक चुनाव आयोग में 2854 दल पंजीकृत थे, लेकिन लगातार कार्रवाई के बाद निष्क्रिय और गैर-सक्रिय दलों को हटाकर यह संख्या घटाई जा रही है। आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने और केवल सक्रिय राजनीतिक दलों को ही चुनावी विशेषाधिकार देने के लिए जरूरी है
