व्यतीत समय होता है लेकिन उस समय बिताने में खर्च हम खुद ही हो जाते हैं!कैसे नादान नासमझ है हम दोस्तों-दुख आता है तो अटक जाते हैं,सुख आता है तो भटक जाते हैं
किसी बड़े शायर ने लिखा था- बार-बार मेरी और निगाहें करके गुनाहां तो वह करते हैं परंतु जमाना सजा मुझे देता है,परेशान हूं मैं तुम्हारी इनायते नजरों के कारण हमारी “सरकार” चोट तुझे लगती है और जख्म में पाता हूं!जाने कहां चले आए हम लोग जहां पर हर काम अब हम सीधे चलते लोग उल्टा … Read more